Friday 4 August 2017

एक लड़का ...एक लड़की !!


एक लड़का ...एक लड़की दोनों ऐसे मिले

जैसे दरिया के दो किनारे हो
जैसे बारिश की कुछ फुंवारे हो

जैसे रेत हसता है सावन मे
जैसे मस्ती होती है फागन मे

जैसे सूरज के पास चंदा रहे
जैसे बारिश को बस धूप सहे

जैसे हर पल मे रात सी है
जैसे हर बात मे कोई बात सी है

जैसे सारी हदें बस टूटने को है
जैसे कुछ यादे बस छूटने को है

अब तो हर लम्हा इसका फरियादी है
इस बात मे भी तो दोनों राजी हैं

पर भगवन को था ये मंज़ूर नहीं
उनके दूर जाने की घडी अब दूर नहीं

वो मरने जीने की कसमे
वो किस्से वादे और रश्मे

वो  सावन फागन का झरना
वो पल पल उनका यू मरना

वो घडी जिसपे जाना है इन दोनों को दूर 
काश किस्मत ना करती उसे मंज़ूर

पर दोनों के होंठ भी तो है सिले
एक लड़का ...एक लड़की दोनों ऐसे मिले

एक लड़का ...एक लड़की दोनों ऐसे मिले


2 comments:

  1. अपनी अन्तर आत्मा से निकली सारी सब्दो का व्याखान आप ने इसकदर परतुत किया की मेरे दिल के सारे बिखरे अरमानो को एकत्रित कर दिया और मन शांत हो गए |
    धन्यवाद....

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