अरे हम तो अपनी जमीन.... अपना आसमान दिए बैठे है तेरे कदमो में अपना सारा जहान दिए बैठे है तू जान की दुश्मन है... कहते है ये दुनिया वाले और अपनी जान के दुश्मन को हम अपनी जान दिए बैठे है
ये बदलती जमीन देखी है...बदलते आसमान देखे है तुम्हारे लबो पे हमने अपने कुछ निशान देखे है अरे हम तो इश्क़ में मरने की भी हसरते रखते है अब वरना फ़िक्र में तो तेरी कितने ही आशिक़ परेशान देखे है